हरियाणा राज्य में नहीं आने दी जाएगी चारे की कमी: पशुपालन मंत्री



चंडीगढ़:  कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जे पी दलाल ने जिला उपायुक्तों और विभागीय अधिकारियों को मानसून से पहले प्रत्येक गौशाला में चारे की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रणनीति तैयार करने के साथ-साथ युद्धस्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं. 

उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशुचारे की कमी नहीं आने दी जाएगी, जहां भी चारे के स्टॉक में कुछ कमी है, वहां उसे पूरा किया जा रहा है.


जे पी दलाल आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चरखी दादरी, भिवानी, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिलों के उपायुक्तों के साथ गौशालाओं में चारे की उपलब्धता के संबंध में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. 


उन्होंने उपायुक्तों को निर्देश देते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करें कि राज्य में किसी भी गौशाला को चारे की कमी के कारण कोई कठिनाई होने पाए. यदि आवश्यक हो, तो लोगों को चारा दान करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. चारे के स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अभियान भी शुरू किया जाना चाहिए.


पशुपालन मंत्री ने यह स्पष्ट करते हुए कि चारे की अंतर-जिला आवाजाही पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए सभी जिले आपसी तालमेल के साथ चारे की उपलब्धता करवाना सुनिश्चित करें. 


उन्होंने कहा कि हालांकि चारे की स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केवल अंतर-राज्यीय आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है और प्रत्येक उपायुक्त स्थिति पर कड़ी नजर रखें कि चारा दूसरे राज्यों में जा पाए. 


जे पी ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस मामले को लेकर गंभीर हैं और वे स्वयं इस स्थिति पर नजर रखे हुए हैं, इसलिए उपायुक्तों को चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए.


जे पी दलाल ने कहा कि अन्य राज्यों से आने वाले चारे की निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए और प्रतिदिन चारे की खरीद बिक्री की निगरानी के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करें कि अन्य जिलों से चारा लाने वाले वाहनों को आने जाने में कोई कठिनाई हो. 


उन्होंने कहा कि एक प्रोत्साहन योजना बनाने की संभावना भी तलाशी जानी चाहिए जिसके तहत यदि कोई किसान गौशालाओं के समन्वय से हरे चारा की बिजाई के लिए पहल करता है तो उसे कुछ प्रोत्साहन राशि दी जानी चाहिए.


पशुपालन मंत्री ने कहा कि चूंकि इस बार अधिकांश किसानों ने गेहूं के स्थान पर सरसों की बुवाई की है, इसलिए चारे की कमी की कमी होना स्वभाविक है. इसलिए उपायुक्त गौशालाओं की आवश्यकताओं को जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास करें. 

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