हरियाणा सरकार में बड़ी लापरवाही, करनाल में 30,000 क्विंटल सरकारी गेहूं सड़ा, ग़रीबों की क्या गलती?



Haryana News : जहां एक और किसी को एक वक़्त की रोटी नसीब नहीं हो रही वहीं सरकारी तंत्र इतना फेल हो गया है कि हज़ारों क्विंटल गेहूं को ख़राब होने पर छोड़ दे रहा है। हरियाणा के करनाल के जुंडला में खाद्य आपूर्ति विभाग का करीब 30,000 क्विंटल गेहूं खराब हो गया है। लोगों का कहना है कि इस पूरे घोटाले की जांच होनी चाहिए 2020-21 का गेहूं कैसे खराब हो सकता है। ऐसे लग रहा है कि जैसे पिछले खराब गेहूं को रखा गया हो। अब बारदाना बदला नहीं जा रहा है। पुराने बारदाने में गेहूं भरा जा रहा है। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।

सरकारी विभाग एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

करनाल जुंडला में खाद्य आपूर्ति विभाग, DFSC विभाग द्वारा जुंडला स्थित भाटिया ऑपन पलींथ पर 2020-21 में लगाया गेहूं विभाग की लापरवाही के चलते सड़ गया है। दो साल से विभाग इसकी ऑक्शन तक नहीं करवा सका है। 2020-21 में भाटिया पलींथ पर लगे स्टॉक में से अभी 30 हजार क्विंटल (3000 मिट्रिक टन) गेहूं खुले में ही पड़ा सड़ रहा है, जिसकी कीमत करीब 5 करोड़ 85 लाख रुपये बताई जा रही है। यहां तक कि देखरेख के लिए विभाग ने कर्मचारी भी नहीं रखे हैं। स्टॉक पर जो तिरपाल ढका गया था, वह भी पूरी तरह से फट गया है। ज्यादातर स्टॉक में गेहूं के स्थान पर आटा निकल रहा है। कट्टों में सिर्फ छिलका नजर आता है। स्टॉक की हालत देखने पर ऐसी लगती है, जैसे गरीबों के इस निवाले का कोई माईबाप नहीं है।

समय रहते FCI ने नहीं किया गेहूं का उठान!

वहीं दूसरी ओर DFSC विभाग FCI पर आरोप मढ़ रहा है कि FCI ने समय रहते गेहूं का उठान नहीं किया। उन्होंने 2019-20 व 2021-22 के गेहूं का उठान कर लिया, लेकिन 2020-21 का उठान नहीं किया। वहीं दूसरी ओर FCI का दावा है कि जब उन्होंने गेहूं की जांच की तो वह खाने लायक नहीं था। संयुक्त कमेटी ने भी इसकी जांच के उपरांत इसे नॉन इशुबल घोषित कर दिया। अब दो साल से DFSC विभाग इसकी ऑक्शन कराने के लिए चंडीगढ़ ऑफिस का दरवाजा खटखटा रहा है, लेकिन अभी तक वहां से कोई रिपोर्ट नहीं आई।

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