Haryana News : राम रहीम मामले में अगली सुनवाई 6 जुलाई को, SGPC ने हाईकोर्ट में पैरोल की दी है चुनौती



Haryana News : डेरा प्रमुख राम रहीम के मामले में मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) द्वारा राम रहीम को हरियाणा सरकार से मिली पैरोल को चुनौती दी गई है। हालांकि, हरियाणा सरकार निर्धारित नियमों के तहत पैरोल देने का हवाला दे चुकी है। हाईकोर्ट ने आगामी सुनवाई के लिए 6 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।

डेरा मुखी राम रहीम पैरोल की समयावधि पूरी होने के बाद वापस जेल लौट चुका है, लेकिन मामले में हाईकोर्ट के निर्देश और आदेशों से उसे भविष्य में मिलने वाली पैरोल पर असर पड़ सकता है।

SGPC द्वारा दायर याचिका में डेरा प्रमुख राम रहीम समेत हरियाणा सरकार व अन्यों को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया है। इनमें हरियाणा के मुख्य सचिव, गृह सचिव, रोहतक आयुक्त, पुलिस महानिदेशक, पंजाब गृह विभाग के प्रधान सचिव, केंद्रीय गृह सचिव, सुनारिया जेल अधीक्षक और रोहतक DC को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में रोहतक मंडल आयुक्त द्वारा पैरोल देने में वैधानिक नियमों का उल्लंघन किए जाने के आरोप लगाए गए हैं।


पैरोल रद्द करने की थी मांग

SGPC ने 20 जनवरी को रोहतक आयुक्त द्वारा राम रहीम को 40 दिन की पैरोल देने के आदेश को हरियाणा सदाचार कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा-11 के प्रावधान के खिलाफ बताते हुए इसे रद करने की मांग की गई थी।

याचिका में पैरोल की समयावधि के दौरान राम रहीम के गैरकानूनी बयानों और गतिविधियों से खतरनाक परिणाम बारे हाईकोर्ट को अवगत कराया गया था। SGPC द्वारा पैरोल को भारत की संप्रभुता-अखंडता को खतरे में डालने और देश में सार्वजनिक सद्भाव, शांति व सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए खतरा बताया है।

पैरोल हरियाणा सरकार की नीति के खिलाफ

याचिका के अनुसार हत्या व रेप जैसे मामलों में सजा काट रहे राम रहीम को पैरोल देना हरियाणा सरकार की नीति के खिलाफ है। इसके अनुसार राम रहीम अदालतों के तीन आदेशों के तहत सजा काट रहा है, लेकिन पैरोल का आदेश केवल एक मामले में जारी किया जाना बताया गया था। याचिका में डेरा प्रमुख द्वारा सिख समुदाय को अस्थिर करने के उपदेश देने से पंजाब और भारत के अन्य राज्यों में हिंसा भड़कने का अंदेशा जताया गया था।

डेरा प्रमुख को जहरीला प्रचार करने की आदत

याचिकाकर्ता के अनुसार डेरा प्रमुख को गुरुग्रंथ साहिब जी के खिलाफ जहरीला प्रचार करने की आदत है। इससे सिखों और उनके बीच तनावपूर्ण संबंध बने हैं। पंजाब के विभिन्न थानों में इस संबंध में कई केस दर्ज हैं। इनमें डेरा प्रमुख के खिलाफ बेअदबी की कई एफआईआर भी शामिल हैं।

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