Haryana Rainfall : अब रोहतक जिले में गेहूं की फसल पर फंगस का खतरा, कहीं-कहीं बालियों में उग गई कनक



Haryana Rainfall : हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण रोहतक और आसपास के जिलों के कई गांवों में गेहूं की फसल काली पड़ रही है और फंगस का हमला हो रहा है। किसानों और कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पानी में डूबे रहने और अत्यधिक नमी के संपर्क में रहने से फसलों का रंग उड़ गया है।


गेहूं में कालापन आने से किसानों की परेशानी और बढ़ गई है, क्योंकि केवल अनाज बल्कि मवेशियों के सूखे चारे के रूप में इस्तेमाल होने वाली फसल की भूसा भी खाने लायक नहीं रह गई है।


फसल बुबाई करने पर मजबूर किसान


कई किसान गेहूं की फसल की बुबाई करने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि इसकी कटाई की लागत उन्हें उपज के लिए मिलने वाली कीमत से अधिक महंगी साबित हो सकती है।


करोंथा गांव के एक किसान बलबीर सिंह ने अफसोस जताया और कहा कि  “बेमौसम बारिश के कारण हमारे खेतों में गेहूं की फसल खराब हो गई और काली पड़ गई। अच्छी फसल की हमारी उम्मीद धराशायी हो गई क्योंकि फसल का कालापन इसकी गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और यह बिना बिके रह जाती है।” 


बलंद गांव के सोमदत्त ने भी इस बात पर दुख जताया कि गेहूं की फसल काली होने से उसे काफी नुकसान हुआ है।


गेहूं कि बालियों में से उग गई कनक


सिमली गांव के राम सिंह ने कहा कि उनके खेतों में पानी इतना भर गया कि पक्की हुई गेहूं में फिर से गेहूं उगने लग गया है। ऐसे में किसान करे तो क्या करें। 


अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य सचिव सुमित दलाल ने कहा, “बारिश और ओलावृष्टि से रोहतक जिले के खरैंटी, चंडी, भगवतीपुर, गिरवाड़, समर गोपालपुर, टिटोली, खेड़ी साध, करोर, कन्हेली, पहरावर और कई अन्य गांवों में फसलों को नुकसान पहुंचा है। कई गांवों में फसल अभी भी बारिश के पानी में डूबी हुई है।


कृषि और किसान कल्याण विभाग, रोहतक के गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक राकेश कुमार ने कहा कि अत्यधिक नमी गेहूं की फसलों पर फंगस के हमले के कारण मलिनकिरण का कारण बन सकती है। इस बीच, रोहतक के उपायुक्त डॉ. यशपाल ने आज जिले के कई गांवों का दौरा किया और लधौत, किलोई, धमार, जसिया, ब्राह्मणवास और कहनी गांवों की स्थिति का जायजा लिया।


डीसी ने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी क्षतिग्रस्त फसल का मुआवजा सीधे उनके बैंक खातों में भेजा जाएगा। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित गांवों का दौरा कर फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए।

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