𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐃𝐞𝐬𝐤 : हरियाणा में सरपंचों की बल्ले बल्ले, CM ने सरपंचों के लिए की अनेक घोषणाएं
Haryana Chief Minister Nayab Singh Saini increased the expenditure limit for the Gram Panchayats from ₹5 lakh to ₹21 lakh for carrying out development works in villages without floating e-tenders. The Sarpanches across Haryana have been up in arms against the State government for more than a year accusing it of curtailing the rights of Gram Panchayats and had opposed the Bharatiya Janata Party during the just-concluded Lok Sabha polls.
हरियाणा, डिजिटल डेक्स।। गांव की सरकार को लोकतंत्र की सशक्त तस्वीर बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 𝟐𝟎𝟒𝟕 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है।
इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रत्येक गांव का विकसित होना भी उतना ही जरुरी है। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि गांव में विकास को गति देने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से धन की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
Sarpanches get more power in Haryana
हरियाणा भर के सरपंच पिछले एक साल से भी ज़्यादा समय से राज्य सरकार के खिलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं और उन पर ग्राम पंचायतों के अधिकारों में कटौती करने का आरोप लगा रहे हैं और हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का विरोध किया था.
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह ने पंचायत प्रतिनिधियों को कई सौगातें देते हुए ऐलान किया कि अब सरपंच इ-टेंडरिंग के बगैर 𝟐𝟏 लाख रुपए तक के विकास कार्य अपनी ग्राम पंचायतों में करवा सकेंगे। इससे पहले यह लिमिट 𝟓 लाख रूपए थी।
ग्राम पंचायतों के समक्ष मिट्टी के भरत को लेकर आ रही समस्या पर मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि ग्राम पंचायत द्वारा भरत (मिटटी की लागत) का प्रस्ताव पास करके भेजने पर इसका खर्च भी एस्टीमेट में शामिल किया जाएगा। इससे पहले भरत की लागत कार्य के एस्टीमेट में शामिल नहीं होती थी और भरत का काम मनरेगा से अथवा गांव द्वारा अपने खर्चे पर करवाना पड़ता था।
जूनियर इंजीनियर द्वारा कई महीनो तक एस्टीमेट नहीं बनाने की समस्या का समाधान करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि सरपंच जैसे ही किसी विकास कार्य का पंचायत द्वारा पारित किया गया प्रस्ताव 𝐇𝐄𝐖 पोर्टल पर डालेगा तो जूनियर इंजीनियर को उसके 𝟏𝟎 दिन के भीतर एस्टीमेट बनाकर अपलोड करना होगा।
सरपंचों को टीए/डीए देने का भी ऐलान भी मुख्यमंत्री ने किया। अब सरपंच ग्राम पंचयतों के कार्यों के लिए अपनी गाड़ी या टैक्सी से यात्रा करने पर 𝟏𝟔 रूपए प्रति किलोमीटर की दर से यात्रा खर्च क्लेम कर सकेंगे। इतना ही नहीं, टीए/डीए क्लेम करने के बिल का अनुमोदन भी बीडीपीओ के स्तर पर ही हो जाएगा।
गांव में होने वाले सरकारी कार्यक्रमो के मद्देनज़र सरपंच के पद को प्रोटोकॉल सूची में शामिल करने की भी घोषणा की। अब सरपंच के बैठने का स्थान डीसी व एसपी के साथ होगा।
वर्तमान सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों में 𝟑𝟎𝟎𝟎 कंप्यूटर ऑपरेटर नियुक्त किये गए हैं। साथ ही ग्राम पंचायतों को अपने स्वयं के फण्ड से जीईएम के माध्यम से एक डेस्कटॉप, प्रिंटर और यू पी एस खरीदने की अनुमति प्रदान की है ताकि पंचायत आई टी सक्षम और आधुनिक होकर केंद्र और राज्य स्तर के पोर्टल संचालित कर सकें।
प्रदेश सरकार ने विकास कार्यों को गति देने के लिए निर्णय लिया है कि अपंजीकृत ठेकेदार अब एक वर्ष में 𝟓𝟎 लाख रूपए तक के काम ले पाएंगे। ये काम समय पर करवाने पर ये ठेकेदार अगले वर्ष 𝟏 करोड़ रूपए के काम लेने के पात्र होंगे।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की पंचायत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए स्टांप ड्यूटी में शेयर और बिजली बिल का 𝟐% ग्राम पंचायत को मिलेगा।
ग्राम पंचायत द्वारा गांव में स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिवस पर किए जाने वाले आयोजन व किसी विशिष्ट अधिकारी या मंत्री के गांव में आगमन पर किए जाने वाले कार्यक्रम के लिए पंचायत फंड से खर्च की सीमा को 𝟑𝟎𝟎𝟎 रूपए से बढ़ाकर 𝟑𝟎,𝟎𝟎𝟎 रूपए करने की घोषणा की।
राष्ट्रीय ध्वज खरीदने या राष्ट्रीय पर्व पर मिठाई बांटने, पंचायत की गतिविधियों के प्रचार करने इत्यादि पर खर्च की सीमा को 𝟓𝟎𝟎 रूपए से बढ़कर 𝟓𝟎𝟎𝟎 रूपए करने का भी ऐलान किया।
पिछली सरकारों द्वारा गांव के विकास को लेकर किये गए भेदभाव का जिक्र करते हुई मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें गांव के विकास के लिए पैसा खर्च करने से बचती थी. जहाँ वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟒 से पहले पंचायतों के लिए राज्य वित्त आयोग का अनुदान 𝟔𝟎𝟎 करोड़ रूपए था, वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हरियाणा के लिए अनुदान की इस राशि को बढ़ाकर 𝟐𝟗𝟔𝟖 करोड़ रूपए किया गया है. इतना ही नहीं, वित्त वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟒-𝟐𝟓 के बजट में ग्रामीण विकास के लिए 𝟕𝟐𝟕𝟔.𝟕𝟕 करोड़ आबंटित किये गए हैं जबकि पूर्व की सरकार में 𝟐𝟎𝟏𝟑-𝟏𝟒 के दौरान यह राशि 𝟏𝟖𝟗𝟖.𝟒𝟖 करोड़ रूपए थी- मुख्यमंत्री नायब सिंह