2022 में किसानों की आय दुगनी नहीं बल्कि कई राज्यों में कम हो गई



नई दिल्ली : फरवरी 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का एक वादा किया था. उस रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि 2022 में जब भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे तो उस समय तक हम किसानों की आय को दोगुना कर सकते हैं..हालांकी वादे कई और भी थे लेकिन बात इसी वादे कि इसलिए हो रही है क्योंकि इसकी डेडलाइन खत्म हो रही है. आय दोगुनी करने को लेकर संसदीय समीति की रिपोर्ट आई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों की आय दोगुनी करने का सरकार का टारगेट काफी पीछे है. कई राज्यों में तो किसानों की आय दोगुनी होने के बजाए घट गई है.



एग्रीकल्चर पर बनी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की है. इस संसदीय समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद पीसी गद्दीगौदर हैं. इस समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अपने टारगेट से अभी काफी दूर है. हालांकि, समिति ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों की तारीफ भी की है.समिति ने अपनी रिपोर्ट में दो सर्वे के आंकड़े बताए हैं. ये सर्वे 2015-16 और 2018-19 के हैं. इन सर्वे के हवाले से समिति ने बताया है कि 2015-16 में देश के किसानों की महीने की औसत आमदनी 8 हजार 59 रुपये थी, जो 2018-19 तक बढ़कर 10 हजार 218 रुपये हो गई. यानी 4 साल में महज 2 हजार 159 रुपये की बढ़ोतरी हुई है


रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में चार राज्य ऐसे हैं जहां किसानों की आमदनी कम हो गई है. इनमें झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और नागालैंड राज्य शामिल हैं. कमेटी ने इन राज्यों में सही कदम उठाने के बारे में सरकार को सुझाव दिए हैं.


झारखंड के किसानों की हर महीने की कमाई 2 हजार 173 रुपये कम हो गई है. वहीं, नागालैंड के किसानों की आमदनी 1 हजार 551रुपये कम हो गई. मध्य प्रदेश के किसानों की आमदनी 1400 रुपये तो ओडिशा के किसानों की आमदनी 162 रुपये घट गई हैकमेटी ने सुझाव दिया है कि सरकार को एक स्पेशल टीम बनानी चाहिए जो इन राज्यों में किसानों की घटती आमदनी के कारणों का पता लगाए. साथ ही इन राज्यों में सही कदम उठाने का सुझाव भी दिया है.


संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में सबसे ज्यादा कमाई मेघालय के किसानों की है. यहां के किसान की हर महीने की आमदनी 29 हजार 348 रुपये है. दूसरे नंबर पर पंजाब है, जहां के किसान 26 हजार 701 रुपये एक महीने में कमाते हैं. वहीं, तीसरे नंबर पर 22 हजार 841 रुपये की कमाई के साथ हरियाणा के किसान हैं. इसमें गौर करने वाली बात ये हैं कि कमाई तो ज़्यादा हुई लेकिन किसानों के खर्च भी बढ़ गए हैं..


किसानों की आमदनी अगर बढ़ी है तो खर्च भी बढ़ रहा है. पिछले साल नवंबर में सरकार ने बताया था कि हर महीने 10,218 रुपये कमाते हैं तो 4,226 रुपये खर्च हो जाते हैं. किसान हर महीने 2 हजार 959 रुपये बुआई और उत्पादन पर तो 1 हजार 267 रुपये पशुपालन पर खर्च करता है. यानी, किसानों के पास हाथ में 6 हजार रुपये भी पूरे नहीं आते. इतनी कम कमाई के चलते ही किसान कर्ज लेने को मजबूर हो जाता है. पिछले साल जुलाई में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 31 मार्च 2021 तक किसानों पर 16 लाख 80 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज बकाया है. उस समय वित्त मंत्रालय ने ये भी साफ कर दिया था कि किसानों की कर्ज माफी करने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है.


बजट सत्र के दूसरे चरण में कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने किसानों की आय दोगुनी करने के वादे पर सवाल किया तो कृषि कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि पीएम की घोषणा के बाद एक कमेटी का गठन किया गया था. उन्होंने बताया कि कमेटी के गठन के बाद लगातार प्रयास करते हुए कई पिलर तैयार किए गए. उन पिलर के अंतर्गत आय दोगुनी करने के लिए लागत को कैसे कम किया जाए, इस पर काम किया गया. यानी पीएम मोदी ने जो किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी वो 2022 आते-आते कई राज्यों में पहले से भी कम होती जा रही है. अब भले ही सरकार कोरोना की महामारी की दुहाई दे लेकिन सच तो ये है कि जैसे जेसे महंगाई बढ़ रही है वैसे वैस किसानों की आय कम हो रही है. सरकार बस बयानों में कदम उठाने की बात करती है. हक़ीक़त कुछ और है. 


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