Sant Guru Ravidas Jayanti 2023: संत रविदास जयंती आज, यहाँ पढ़े उनके अनमोल विचार और दोहे



Sant Guru Ravidas Jayanti Wishes 2023: 14वीं सदी के भक्ति युग में माघ पूर्णिमा के दिन रविवार को काशी के मंडुआडीह गांव में रघु व करमाबाई के पुत्र रूप में जन्मे श्री गुरु संत रविदास दास जी की आज जयंती है। रविदास जी ने भले ही चर्मकारी के पैतृक व्यवसाय को चुना हो, मगर उन्होंने अपनी रचनाओं से जिस समाज की नींव रखी, वह वाकई अद्भुत है।

इस विशेष अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रम और कीर्तन आयोजित किए जाते हैं। इस दिन संत रविदास जी के वचन और दोहे का पाठ किया जाता ही। इतिहासकारों में संत रविदास जी की जन्मतिथि को लेकर मतभेद है। बता दें कि संत रविदास जी की भक्तिभाव से प्रभावित होकर कृष्ण भक्त मीराबाई ने अध्यात्म का मार्ग अपनाया था। संत रविदास जी ने समाज में ऊंच-नीच के भेद का खंडन अपने दोहे के माध्यम से किया था।

यहाँ पढ़ें संत रविदास जी के दोहे

संत रविदास जी के दोहे (Happy Guru Ravidas Jayanti Wishes 2023)


जाति-जाति में जाति हैं,

जो केतन के पात,

रैदास मनुष ना जुड़ सके,

जब तक जाति न जात।

गुरुपर्व की शुभकामनाएं

अगर अच्छा नहीं कर सकते, तो कम से कम दूसरों को नुकसान न पहुचाएं।

अगर फूल नहीं बन सकते हैं, तो कम से कम कांटे न बनें।

Happy Guru Ravidas Jayanti 2023

करम बंधन में बन्ध रहियो,

फल की ना तज्जियो आस,

कर्म मानुष का धर्म है,

संत भाखै रविदास।

Happy Guru Ravidas Jayanti 2023

ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सबन को अन्न।

छोट बड़ो सब सम बसे रविदास रहे प्रसन्न।।

संत रविदास जयंती 2023 की शुभकामनाएं

जन्म जात मत पूछिए, का जात और पात।

रैदास पूत सम प्रभु के कोई नहिं जात-कुजात।।

गुरु रविदास जयंती 2023 की ढेरों शुभकामनाएं

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,

नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच


Happy Guru Ravidas Jayanti 2023: संत रविदास जी के विचार



कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा

कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं।


भगवान उस ह्रदय में निवास करते हैं

भगवान उस ह्रदय में निवास करते हैं जहां किसी भी तरह का बैर भाव नहीं होता है। न ही कोई लालच या द्वेष नहीं होता है।


हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए

हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और साथ साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।


कभी भी अपने अंदर अभिमान को

कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें। इस छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है परन्तु एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता।


हमेशा कर्म करते रहो

हमेशा कर्म करते रहो लेकिन उससे मिलने वाले फल की आशा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।


मोह-माया में फंसा जी

मोह-माया में फंसा जीव भटकता रहता है। इस माया को बनाने वाला ही मुक्ती दाता है।


जिस तरह से तेज हवा के

जिस तरह से तेज हवा के चलते सागर में बड़ी लहरें उठती हैं और फिर से सागर में ही समा जाती हैं। सागर से अलग उनका कोई अस्तित्व नहीं होता है। इसी तरह से परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है।


संत रविदास को जूते बनाने का

संत रविदास को जूते बनाने का काम पैतृक व्यवसाय के तौर पर मिला। उन्‍होंने इसे खुशी से अपनाया। वे अपना काम पूरी लगन से करते थे। यही नहीं वे समय के भी थे। कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें। इस छोटी से चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है परन्तु एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता।


मोह-माया में फंसा जीव

मोह-माया में फंसा जीव भटक्ता रहता है। इस माया को बनाने वाला ही मुक्तिदाता है।


भ्रम के कारण सांप और रस्सी

भ्रम के कारण सांप और रस्सी तथा सोने के गहने और सोने में अन्तर नहीं जाना जाता। लेकिन जैसे ही भ्रम दूर हो जाता है वैसे ही अंतर ज्ञात होने लगता है। इसी तरह अज्ञानता के हटते ही मानव आत्मा, परमात्मा का मार्ग जान जाती है, तब परमात्मा और मनुष्य मे कोई भेदभाव वाली बात नहीं रहती।


संत रविदास जी के विचार आज भी लोगों के लिए एक प्रेरणा है। आज यानी 5 फ़रवरी को उनकी जयंती है। देशभर में उनकी जयंती पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। उम्मीद है आपको ये लेख पसंद आया होगा और उनके इन विचारों को आप फोलो करेंगे।

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